Paralysis: How to survive, What is to be Done? Neuro Dr. Advice. पैरालाइसिस/ लकवा से कैसे बचे, होने पर क्या करें
How to survive with paralysis, what is to be done? Dr. Neeraj - pairaalaisis/ lakava se kaise bache, hone par kya karen : bata rahe hai Dr. Neeraj
पैरालाइसिस/ लकवा से कैसे बचे, होने पर क्या करें : बता रहे है डॉ. नीरज
लकवा एक ऐसी बिमारी का नाम है जो मानव के पूरे जीवन में कभी भी किसी समय शरीर मे हो सकती हालांकि यह एक ऐसी बिमारी है जो मानव शरीर के कोई भी हिस्सा शून्य मात्र हो सकता है ,जिसमे जीवित को रह सकता है परन्तु एक निर्जीव वस्तु के समान की तरह पड़ा रहता है जिसमें लकवा स्ट्रोक कहते हैं,
केजीएमयू के न्यरोलॉजी विभाकध्यक्ष डॉ. नीरज ने बताया कि लकवा या स्ट्रोक या कहिए पक्षाघात मस्तिष्क की एक बीमारी है। यह दो प्रकार का हो सकता है। हीमोराजिक स्ट्रोक में 80 से 85 प्रतिशत दूसरा स्ट्रमिक स्ट्रोक 10 से 15 प्रतिशत स्ट्रोक होता है , जो कि दिल से मस्तिष्क की ओर जाने वाली रक्तवाहिनियों के फटने और दूसरा उनके बंद होने के कारण। जब एक या अधिक मांसपेशी समूह की मांसपेशियां पूरी तरह से काम करने में असमर्थ हो जाती हैं तो इस स्थिति को पक्षाघात या लकवा मारना कहते हैं। पक्षाघात से प्रभावी क्षेत्र की संवेदन.शक्ति समाप्त हो सकती है या उस भाग को चलना.फिरना या घूमाना बंद हो जाता है। यदि यह विफलता आंशिक है तो इसे आंशिक पक्षाघात कहते हैं। पक्षाघात के कई ऐसे कारण भी होते हैं जिनके बारे में लोगों को पता ही नहीं होता तो जिसमे ब्लडप्रेशर, डाईबटिश, हाइपरटेंशन, ऐसे कई कारण सामने आये हैं ।
डॉ. नीरज के मुताबिक (लकवा) के इलाज का तरीका
जब कभी किसी इंसान को अचानक लकवा का अटैक पड़ता है तो उसे स्ट्रमिक स्ट्रोक कहते हैं, हालांकि इसमे पहले थम्बोलेसिस के इन्जेक्शन लगते हैं ,जिसमे इस इंजेक्शन के बाद लगभग 4:30 घंटे के अंदर खून की जॉच , सीटी स्कैन, अल्ट्रासाउंड,ईसीजी लगभग ये सभी जाँच हो जाने के बाद दवा दी जाती हैं , हालांकि इसकी दो दवाये होती है। जिसका नाम है टीएक्टिवप्लेज और अल्टाप्लेज, ये दवाये है। जिसमे अल्टाप्लेज एक नयी दवा है,जोकि टीएक्टिवप्लेज से पहले से केजीएमयू के ट्रामासेंटर के एमरजेंसी में उपलब्ध हैं।डॉ. नीरज के मुताबिक लकवा के इलाज केलिए इसकी कीमत लगभग 50,000 से 60,000 तक महंगा इलाज है, जोकि केजीएमयू प्रशासन को सरकार द्वारा एनएचआरएम के तहत जो सरकार सुविधा देती है उसी के आधार पर , अल्टाप्लेज दवा बिलकुल भी फ्री में उपलब्ध है,अगर अस्पताल के स्टॉक में पहले से उपलब्ध है,तो उसे मरीज को बिलुल भी फ्री लगाया जायेगा। हालाकि टीएक्टिवप्लेज दवा कीमत 20,000 से 25,000 है इसके उपरांत यह दवा एनएचआरएम तहत अभी उपलब्ध नहीं है ,साथ ही इन दवाओं में ख़ासियत यह है की टीएक्टिवप्लेज दवा को तुरंत हम बोतल में चढ़ा सकते है लेकिन अल्टाप्लेज दवा को देने में 30 से 40 मिनट तक समय लगता है।
40 से 50 के उम्र वालो को लकवा होने की ज्यादा से ज्यादा दिक्कत
डॉ. नीरज के मुताबिक लकवा जैसी बीमारी किसी को भी हो सकती हैं लेकिन इसमे 40 से 50 के उम्र वालो को लकवा होने की ज्यादा समस्या पायी जाती है, जिसमें ज्यादा उम्र के लोगों में खून का दौरान, कोलेस्टेरॉल, सूगर इन चीजो का कंट्रोल में न होने से उन्हें लकवा जैसी बीमारी से ग्रसित हो हो जाते हैंजाड़ो के मौसम में रहे सावधान
अगर आप ठंड के खुले मौसम में सोते है, तो लकवा होने की अधिक सम्भावना होती है, क्योंकि जाडो़ के मौसम में शरीर की धमनिया सुकड़ जाती हैं जिससे हर्टअटैक स्ट्रोक होने की संभावना बढ जाती हैं, और साथ ही बच्चों व किशोर अवस्था के लोगों को दमाग की नसे फटने का अधिक डर रहता है जिसमें उन्हें हीमोरॉजिक स्ट्रोक व स्ट्रमिक स्ट्रोक का ख़तरा बढ जाता है!लकवा के मरीज 1500 से 1000 तक
डॉ. नीरज ने बताया कि केजीएमयू के न्यरोलॉजी में विभाग में साल भर में लगभग 1500 से 1000 तक पैरालाईसेस (लकवा) के मरीज आते हैं, जिसमे सबसे ज्यादा से ठंड के मौसम में 10 से 20 तक प्रति दिन लकवा के मरीज आते हैं
सामान्य कारण
केजीएमयू के न्यरोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. नीरज ने बताया हैं ज्यादातर सामान्य कारण ज्यादातर मरीजों को धमनी में खराबी की वजह से पक्षाघात का शिकार होना पड़ता है। पक्षाघात तब होता है जब अचानक मस्तिष्क के किसी हिस्से मे रक्त दौरान रुक जाता है या मस्तिष्क की कोई रक्त वाहिका फट जाती है। इससे मस्तिष्क की कोशिकाओं के आसपास खून भर जाता है। मस्तिष्क में रक्त प्रवाह कम हो जाता है या मस्तिष्क में अचानक रक्तस्राव होने लगता है। जिस कारण अचानक मरीज के हाथ.पांव चलने बंद हो जाते हैं, उनमें सूनापन आ जाता है। मरीज को देखने बोलने बात समझने या खाना निगलने में दिक्कत होने लगती है।
यदि दिमाग का बड़ा हिस्सा प्रभावित हुआ हो तो सांस लेने में भी दिक्कत हो सकती है और बेहोशी छा सकती है। कई बार तो मरीज ठीक.ठाक सोने जाता है लेकिन जब उठता है तो उसके एक हाथ या पांव रुक जाते हैं। महिलाओं में प्रसव के बाद होने वाला पक्षाघात अकसर शिरा में खराबी के कारण होता है।
जिसमे यह बच्चों की समन्वय और मूवमेंट को प्रभावित करने वाली स्थिति होती है। स्पास्टिक क्वाड्रिप्लेगिआ मस्तिष्क पक्षाघात की एक गंभीर प्रकार है जो कि पक्षाघात से प्रभावित किसी व्यक्ति में मांसपेशियों की जकड़न के उच्च स्तर का कारण बनता है।
टिक्स के माध्यम से जीवाणु संक्रमण (लाइम रोग) होता है
यह संक्रमित टिक्स के माध्यम से प्रेषित होने वाला एक जीवाणु संक्रमण होता है। यह जीवाणु स्तनधारियों पर छोटे कीड़े के माध्यम से खाते वक्त उसके खून में चला जाता है। यह परजीवी चेहरे के अस्थायी पक्षाघात के लिए अग्रणी तंत्रिका क्षति का कारण बनता है।यह बच्चों की समन्वय और मूवमेंट को प्रभावित करने वाली स्थिति होती है। स्पास्टिक क्वाड्रिप्लेगिआ मस्तिष्क पक्षाघात की एक गंभीर प्रकार है जो कि पक्षाघात से प्रभावित किसी व्यक्ति में मांसपेशियों की जकड़न के उच्च स्तर का कारण बनता है।
शरीर को अच्छी मात्रा में तरल पदार्थ दें हाइपो लकवे के मरीज को पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ लेने चाहिए। विशेषज्ञों के अनुसारए किडनी स्टोन से बचने के लिए ऐसा करना जरूरी है क्योंकि व्यक्ति को इस रोग में प्रोटीन और पोटेशियम की ज्यादा जरूरत पड़ती है। तरल पदार्थों में पानी सबसे बढ़िया है। ज्यादा से ज्यादा पानी पीए , इसके बाद ग्रीन टी का नंबर है। रोजाना दो कप तक कॉफी भी पी सकते है।
पोटेशियम के धनी, कम कार्बोहाइड्रेट वाले पदार्थ लें हाइपोकेपीपी में शरीर को पोटेशियम मिलना जरूरी है। इसलिए उन पदार्थों को भोजन में शामिल करें जिनमें पोटेशियम होता है। फलों में केला, संतरा, आम, आडू, खुबानी आलू ,बुखारा, खरबूजा, सेब, अंगूर स्ट्रॉबेरी,
सब्जियों में सोयाबीन और अन्य पालक और अन्य हरी पत्तेदार सब्जियां, छिलका समेत आलू, शकरकंद ,और मशरूम ,विशेषकर गाजर, में काफी पोटेशियम होता है। इसके अलावा मछली, दूध, दही, और किशमिश, में भी अच्छी मात्रा में पोटेशियम होता है। पोटेशियम के धनी पदार्थों के साथ समस्या यह है कि इनमें कार्बोहाइड्रेट भी होता है और हाइपोकेपीपी में शरीर में ज्यादा कार्बोहाइड्रेट का पहुंचना नुकसानदायक होता है। हमें शरीर को पोटेशियम देने का प्रयास तो करना है मगर ज्यादा कार्बोहाइड्रेट को रोकना भी है। ऐसा करने के दो तरीके हैं
मांसाहार में मांस मछली खाये।
पैरालिसिस के रोगी को अनाजो में चोकर युक्त आटे की रोटी, पुराना चावल, दलिया ,बाजरा, उड़द, मूंग की दाल सेवन करवाएं ।फलों में अंजीर, अंगूर, आम, कद्दू, सेब, नाशपाती, पपीता खाएं।
सब्जियों में परवल, लौकी, तुरई, करेला, बैगन अदरक, टिंडा, प्याज, बथुआ, मेथी सेवन करें।
गर्म दूधए दही, छाछ, मक्खन, सोंठ मिला गुड़ छुहारा आदि खाएं।
मक्खन के साथ लहसुन की 5.6 कलियां चबाकर सुबह.शाम खाएं।
लहसुन की 5.6 कलियां पीसकर एक गिलास दूध के साथ रोजाना पिएं।
पैरालिसिस की बीमारी में संतुलित प्रोटीन का शरीर में जाना बहुत जरूरी है। हर बार के भोजन में प्रोटीन की शरीर में अच्छी मात्रा जानी चाहिए। प्रोटीन के धनी खाने वाली चीजें ये हैं. मीट, मछली अंडा, चिकन, पनीर, टोफू सभी प्रकार के बींस ;फलीदार सब्जियांद्धए दूध और उसके उत्पादए सभी प्रकार के नट्स ;बादाम, अखरोट, काजू, मूंगफली आदिद्धए हरी पत्तेदार सब्जियांए अनाज और दालें।
पैरालिसिस ( लकवे) बीस प्रकार होते हैं
अर्धांग का लकवा, एकांग का लकवा , पूर्णांग का लकवा, निम्नांग का लकवा, संकल्प लकवा, मेरुमज्जा प्रदाहजन्य लकवा , बाल लकवा, गले का लकवा ,जीभ का लकवा ,मुंह का लकवा, उँगलियों का लकवा, पेशी क्षय जन्य लकवा, डिप्थीरिया जन्य लकवा ,हिस्टीरिया जन्य लकवा ,पारद दोष जन्य लकवा, सीसा जन्य लकवा, गठिया जन्य लकवा, आंशिकत्वक शून्यता हाथ के ऊपरी भाग का लकवा,रक्तचापधिक्य जन्य लकवा ।
pairaalaisis/ lakava se kaise bache, hone par kya karen : bata rahe hai do. neeraj
shubham kashyap
lakava ek aisee bimaaree ka naam hai jo maanav ke poore jeevan mein kabhee bhee kisee samay shareer me ho sakatee haalaanki yah ek aisee bimaaree hai jo maanav shareer ke koee bhee hissa shoony maatr ho sakata hai ,jisame jeevit ko rah sakata hai parantu ek nirjeev vastu ke samaan kee tarah pada rahata hai jisamen lakava strok kahate hain,
kejeeemayoo ke nyarolojee vibhaakadhyaksh do. neeraj ne bataaya ki lakava ya strok ya kahie pakshaaghaat mastishk kee ek beemaaree hai. yah do prakaar ka ho sakata hai. heemoraajik strok mein 80 se 85 pratishat doosara stramik strok 10 se 15 pratishat strok hota hai , jo ki dil se mastishk kee or jaane vaalee raktavaahiniyon ke phatane aur doosara unake band hone ke kaaran. jab ek ya adhik maansapeshee samooh kee maansapeshiyaan pooree tarah se kaam karane mein asamarth ho jaatee hain to is sthiti ko pakshaaghaat ya lakava maarana kahate hain. pakshaaghaat se prabhaavee kshetr kee sanvedan.shakti samaapt ho sakatee hai ya us bhaag ko chalana.phirana ya ghoomaana band ho jaata hai. yadi yah viphalata aanshik hai to ise aanshik pakshaaghaat kahate hain. pakshaaghaat ke kaee aise kaaran bhee hote hain jinake baare mein logon ko pata hee nahin hota to jisame bladapreshar, daeebatish, haiparatenshan, aise kaee kaaran saamane aaye hain .
do. neeraj ke mutaabik (lakava) ke ilaaj ka tareeka
jab kabhee kisee insaan ko achaanak lakava ka ataik padata hai to use stramik strok kahate hain, haalaanki isame pahale thambolesis ke injekshan lagate hain ,jisame is injekshan ke baad lagabhag 4:30 ghante ke andar khoon kee joch , seetee skain, altraasaund,eeseejee lagabhag ye sabhee jaanch ho jaane ke baad dava dee jaatee hain , haalaanki isakee do davaaye hotee hai. jisaka naam hai teeektivaplej aur altaaplej, ye davaaye hai. jisame altaaplej ek nayee dava hai,joki teeektivaplej se pahale se kejeeemayoo ke traamaasentar ke emarajensee mein upalabdh hain.
do. neeraj ke mutaabik lakava ke ilaaj kelie isakee keemat lagabhag 50,000 se 60,000 tak mahanga ilaaj hai, joki kejeeemayoo prashaasan ko sarakaar dvaara enechaarem ke tahat jo sarakaar suvidha detee hai usee ke aadhaar par , altaaplej dava bilakul bhee phree mein upalabdh hai,agar aspataal ke stok mein pahale se upalabdh hai,to use mareej ko bilul bhee phree lagaaya jaayega. haalaaki teeektivaplej dava keemat 20,000 se 25,000 hai isake uparaant yah dava enechaarem tahat abhee upalabdh nahin hai ,saath hee in davaon mein khaasiyat yah hai kee teeektivaplej dava ko turant ham botal mein chadha sakate hai lekin altaaplej dava ko dene mein 30 se 40 minat tak samay lagata hai.
40 se 50 ke umr vaalo ko lakava hone kee jyaada se jyaada dikkat
do. neeraj ke mutaabik lakava jaisee beemaaree kisee ko bhee ho sakatee hain lekin isame 40 se 50 ke umr vaalo ko lakava hone kee jyaada samasya paayee jaatee hai, jisamen jyaada umr ke logon mein khoon ka dauraan, kolesterol, soogar in cheejo ka kantrol mein na hone se unhen lakava jaisee beemaaree se grasit ho ho jaate hain
jaado ke mausam mein rahe saavadhaan
agar aap thand ke khule mausam mein sote hai, to lakava hone kee adhik sambhaavana hotee hai, kyonki jaado ke mausam mein shareer kee dhamaniya sukad jaatee hain jisase hartataik strok hone kee sambhaavana badh jaatee hain, aur saath hee bachchon va kishor avastha ke logon ko damaag kee nase phatane ka adhik dar rahata hai jisamen unhen heemorojik strok va stramik strok ka khatara badh jaata hai!
lakava ke mareej 1500 se 1000 tak
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saamaany kaaran
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jisame yah bachchon kee samanvay aur moovament ko prabhaavit karane vaalee sthiti hotee hai. spaastik kvaadriplegia mastishk pakshaaghaat kee ek gambheer prakaar hai jo ki pakshaaghaat se prabhaavit kisee vyakti mein maansapeshiyon kee jakadan ke uchch star ka kaaran banata hai.
tiks ke maadhyam se jeevaanu sankraman (laim rog) hota hai
yah sankramit tiks ke maadhyam se preshit hone vaala ek jeevaanu sankraman hota hai. yah jeevaanu stanadhaariyon par chhote keede ke maadhyam se khaate vakt usake khoon mein chala jaata hai. yah parajeevee chehare ke asthaayee pakshaaghaat ke lie agranee tantrika kshati ka kaaran banata hai.
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shareer ko achchhee maatra mein taral padaarth den haipo lakave ke mareej ko paryaapt maatra mein taral padaarth lene chaahie. visheshagyon ke anusaare kidanee ston se bachane ke lie aisa karana jarooree hai kyonki vyakti ko is rog mein proteen aur poteshiyam kee jyaada jaroorat padatee hai. taral padaarthon mein paanee sabase badhiya hai. jyaada se jyaada paanee peee , isake baad green tee ka nambar hai. rojaana do kap tak kophee bhee pee sakate hai. poteshiyam ke dhanee, kam kaarbohaidret vaale padaarth len haipokepeepee mein shareer ko poteshiyam milana jarooree hai. isalie un padaarthon ko bhojan mein shaamil karen jinamen poteshiyam hota hai. phalon mein kela, santara, aam, aadoo, khubaanee aaloo ,bukhaara, kharabooja, seb, angoor stroberee, sabjiyon mein soyaabeen aur any paalak aur any haree pattedaar sabjiyaan, chhilaka samet aaloo, shakarakand ,aur masharoom ,visheshakar gaajar, mein kaaphee poteshiyam hota hai. isake alaava machhalee, doodh, dahee, aur kishamish, mein bhee achchhee maatra mein poteshiyam hota hai. poteshiyam ke dhanee padaarthon ke saath samasya yah hai ki inamen kaarbohaidret bhee hota hai aur haipokepeepee mein shareer mein jyaada kaarbohaidret ka pahunchana nukasaanadaayak hota hai. hamen shareer ko poteshiyam dene ka prayaas to karana hai magar jyaada kaarbohaidret ko rokana bhee hai. aisa karane ke do tareeke hain maansaahaar mein maans machhalee khaaye. pairaalisis ke rogee ko anaajo mein chokar yukt aate kee rotee, puraana chaaval, daliya ,baajara, udad, moong kee daal sevan karavaen . phalon mein anjeer, angoor, aam, kaddoo, seb, naashapaatee, papeeta khaen. sabjiyon mein paraval, laukee, turee, karela, baigan adarak, tinda, pyaaj, bathua, methee sevan karen. garm doodhe dahee, chhaachh, makkhan, sonth mila gud chhuhaara aadi khaen. makkhan ke saath lahasun kee 5.6 kaliyaan chabaakar subah.shaam khaen. lahasun kee 5.6 kaliyaan peesakar ek gilaas doodh ke saath rojaana pien. pairaalisis kee beemaaree mein santulit proteen ka shareer mein jaana bahut jarooree hai. har baar ke bhojan mein proteen kee shareer mein achchhee maatra jaanee chaahie. proteen ke dhanee khaane vaalee cheejen ye hain. meet, machhalee anda, chikan, paneer, tophoo sabhee prakaar ke beens ;phaleedaar sabjiyaanddhe doodh aur usake utpaade sabhee prakaar ke nats ;baadaam, akharot, kaajoo, moongaphalee aadiddhe haree pattedaar sabjiyaane anaaj aur daalen. pairaalisis ( lakave) bees prakaar hote hain ardhaang ka lakava, ekaang ka lakava , poornaang ka lakava, nimnaang ka lakava, sankalp lakava, merumajja pradaahajany lakava , baal lakava, gale ka lakava ,jeebh ka lakava ,munh ka lakava, ungaliyon ka lakava, peshee kshay jany lakava, diptheeriya jany lakava ,histeeriya jany lakava ,paarad dosh jany lakava, seesa jany lakava, gathiya jany lakava, aanshikatvak shoonyata haath ke ooparee bhaag ka lakava,raktachaapadhiky jany lakava .
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Paralysis: How to survive, What is to be Done? Neuro Dr. Advice. पैरालाइसिस/ लकवा से कैसे बचे, होने पर क्या करें
Reviewed by Makkal Valai
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